भारत में सहकारी समितियों का प्रबंधन एवं सदस्य , पदाधिकारी व शीर्ष संघ की भूमिका : सहकारिता विकास की दिशा में एक विश्लेषणात्मक समझ

भारत में सहकारी समितियों का प्रबंधन एवं सदस्य , पदाधिकारी व शीर्ष संघ की भूमिका : सहकारिता विकास की दिशा में एक विश्लेषणात्मक समझ

AUTHORS :

S. N. Tripathy

 

DOI :

CP2020/OCT-MAR/ARTCL1

 

ABSTRACT :

The present paper with the help of secondary sources of data attempts to capture the major events that shaped the course of cooperative movements in Odisha. The paper portrays the prevailing socio-economic factors and key events which contributed to the development of cooperatives in different phases and its genesis and growth trend in Odisha in the national perspectives.

 
REFERENCES :
  1. Bengal under the Lieutenant-Governors, Vol. I. In C. Buckland – Northcok, S. (n.d.).
  2. Madras Provincial Banking Enquiry Committee Report, 5 Vols. Madras. – Government of Madras. (1930).
  3. Contractual Labour in Agricultural Sector. Discovery Publishing. – Tripathy, S. (2000).
  4. Co-operative Movement in Odisha: Highlights of Progress. Odisha Review, February – March, 51-54. – Senapati, S. (2012).
  5. Annual Activity Report 2018-19. Cooperation Department. –   Government of Odisha.
 
KEYWORDS :

Cooperatives Movements, Rural credit, Money lenders, Farmers.

AUTHORS :

डॉ. लोकेश जैन

 
DOI :

CP2021/APR-JUN/ARTCL4

 
ABSTRACT :

भारत गांवों का देश है। गांव हमारी अर्थव्‍यवस्‍था एवं वास्‍तविक आत्‍मनिर्भरता का आधार हैं। गांव के उत्‍थान से संबद्व तीन प्रमुख संस्‍थाएं हैं – ग्रामपंचायत, शिक्षण संस्‍थाएं तथा सहकारिताएं। सहकारी संस्‍थाएं विकेन्द्रित लोकतांत्रिक अर्थव्‍यवस्‍था का प्रतीक हैं जो कमजोर और जरूरतमंद लोगों को शोषण से बचाकर पोषणक्षम (सक्षम)आर्थिक प्रवृत्तियों के संचालन हेतु सुदृढता प्रदान करती हैं। सहकारिता सामूहिक ध्‍येयों की सिद्वि के द्वारा सदस्‍यों के जीवन निर्वाह के स्‍तर को उन्‍नत बनाने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इसकी आवश्‍यक शर्त यह है कि सहकारी संस्‍थाओं का नेतृत्‍व एवं उसके समस्‍त सदस्‍य गण सहकारी संस्‍थाओं की प्रबंध संचालन व्‍यवस्‍था से सही रूप से परिचित हों, अपनी भूमिका को भली भांति समझते हुए निष्‍ठा पूर्वक निर्वाह की मनोवृत्ति एवं मूल्‍य रखते हों और वास्‍तविक पटल पर समिति के नियमानुसार संचालन में अपनी विवेकपूर्ण सहभागिता सुनिश्चित करते हों।

यह तथ्‍य विशेष रूप से तृण मूल स्‍तरीय सहकारी संस्‍थाओं के रूप में बार बार सामने आता है कि समिती के सदस्‍य समिति की संचालन व्‍यवस्‍था का सक्रिय भाग नहीं बन पाते। सहकारी संस्‍थाओं में जाने अनजाने में होने वाली अनियमितताओं का मूल संस्‍था की सभाओं, विधिक सभा आयोजन संबंधी प्रावधान, साधारण सभा के सदस्‍यों के अधिकार, विविध पदाधिकारियों की भूमिका तथा कर्मचारी संचालन व्‍यवस्‍था के बारे में जरूरी पक्षों काप पूर्ण ज्ञान न होना है। सहकारिताओं के लिए नकारात्‍मकता से भी बड़ी चुनौती है सहकारी समितियों के सदस्‍यों की अर्थपूर्ण भागादारी जिसकी कमी निचले स्‍तर पर ही नहीं अपितु मध्‍य और शीर्ष स्‍तर तक यत्र तत्र दिखाई पड़ती है जो सहकारिता आंदोलन की गति को प्रभावित करती है।

यह लेख सहकारी संस्‍थाओं से जुड़े सभी सदस्‍यों को कर्मशील बनाने की दिशा में समन्वित चिंतन की कड़ी को आगे बढ़ाने का एक अहम् हिस्‍सा है। यह लेख सहकारी समिति की सभाओं, सभाओं की वैधता से जुड़े महत्‍वपूर्ण प्रावधान, साधरण सदस्‍यों के अधिकार एवं कर्तव्‍य, कार्यकारिणी समिति के पदाधिकारियों कीभूमिका पर तो प्रकाश डालता ही है साथ में नियुक्‍त कर्मचारी तंत्र पर इसके प्रभाव को स्‍पर्श करते हुए शीर्ष स्‍वरीय निकाय की भूमिका के साथ जोड़कर देखने का प्रयास करता है ताकि समग्रता के परिप्रेक्ष्‍य को सभी सदस्‍य समझ सकें और सहकारी समिति के विकास अर्थात् व्‍यक्तिगत और सामूहिक ध्‍येय सिद्वि की दिशा में अपनी बेहतर भूमिका सुनिच्श्रित कर सकें। यह चिंतन सहकारी संस्‍था के लोक निर्मित तंत्र को निर्मित तंत्र को असरकारक बनाने हुतु समन्वित दृष्टिकोण विकसित कर सकेगा।

 
REFERENCES :
    1. – गांधी मोहनदास करमचंद ” ग्राम स्‍वराज” सहकारिता पर गांधी प्रकरण, नवजीवन प्रकाशन अहमदाबाद.
    2. – पी.सी.ढाल (१९८९) ” ए टेक्‍सट बुक ऑफ को-ऑपरेटिव्‍ह मेनेजमेन्‍ट” स्‍टोशिस एडवेन्‍ट बुक्‍स डिवीजन
    3. – एस निक्‍करन (२००६) को- ऑपरेटिव्‍ह मेनेजमेन्‍ट : प्रिन्सिपल्‍स एण्‍ड टेक्निक्‍स” दीप एण्‍ड दीप पब्लिकेशन, नई दिल्‍ली.
    4. – गुजरात स्‍टेट को-ऑपरेटिव्‍ह सोसायटी अधिनियम
    5. – पाठय सामग्री को-ऑपरेटिव्‍ह मेनेजमेन्‍ट, राष्‍ट्रीय सहकारी शिक्षण केन्‍द्र, भारतीय राष्‍ट्रीय सहकारी संघ, नई दिल्‍ली.
 
KEYWORDS :

सहकारी समितियों का प्रबंध अभिगम, सहकारी संगठन में आयोजित होने वाली सभाएं एवं सदस्‍य, सहकारी संगठन के निर्वाचित पदाधिकारियों की भूमिका तथा कर्मचारी निर्मित तंत्र एवं शीर्षस्‍थ निकाय सहकारी संस्‍थाओं का प्रबंध अभिगम –